
हर दिन तुझी को याद करता हूँ
न जाने दिनों दिन तुझे और याद करता हूँ,
नहीं पता रहता की कब होगी आपसे बात,
लेकिन जब भी बात होती है बहुत सुकून मिलता है इस दिल को,
फिर कुछ देर बाद वैसे ही तेरी यादों मै खो जाता हूँ मै,
मै जनता हूँ तुम्हे ज्यादा बात करना नहीं आता,
लेकिन तुम कुछ कहके भी बहुत कुछ कह देती हो,
दो लफ्जो ही होती है मेरे लिए सब कुछ,
अब तो वोह दिन का इन्तिज़ार जब होगी तुमसे मुलाकात,
बस तुम्हारे यादों मै खोया सा रहता हूँ हर पल तुम्हे खुदके पास पता हूँ,
हर दिन तुझी को याद करता हूँ
न जाने दिनों दिन तुझे और याद करता हूँ !
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